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Class 12 History Chapter 1 Notes in Hindi: द आॅर्जिन ऑफ नेशनलिज्म इन इंडिया

परिचय

19वीं सदी के मध्य में भारत में राष्ट्रवाद का उदय एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया थी। इस अध्याय में, हम भारतीय राष्ट्रवाद की उत्पत्ति और विकास की जांच करेंगे।

राष्ट्रवाद की अवधारणा

राष्ट्रवाद एक राजनीतिक विचारधारा है जो राष्ट्र के प्रति निष्ठा और एकता पर बल देती है। यह निम्नलिखित विशेषताओं द्वारा विशेषता है:

  • एक साझा इतिहास और संस्कृति की भावना
  • एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ाव
  • एक संप्रभु सरकार की इच्छा
  • राष्ट्रीय प्रतीकों और ध्वजों की पूजा

भारतीय राष्ट्रवाद के कारण

आर्थिक कारक:

  • ब्रिटिश शासन के तहत भारत का आर्थिक शोषण
  • भारतीय उद्योगों का पतन
  • कृषि संकट

सामाजिक कारक:

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  • सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन
  • सामाजिक असमानता और जाति व्यवस्था की आलोचना
  • पश्चिमी शिक्षा का प्रसार

राजनीतिक कारक:

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग का उदय
  • ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह और विरोध
  • अखिल भारतीय स्तर पर राजनीतिक जागरूकता का विकास

राष्ट्रवाद का विकास

प्रारंभिक चरण (1850-1885):

  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885)
  • मॉडरेट नेता: दादाभाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले
  • स्वशासन और राजनीतिक सुधारों की मांग

उदारवादी चरण (1885-1905):

  • उदारवादी नेता: बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चंद्र पाल
  • स्वराज (आत्म-शासन) की मांग
  • बंगाल विभाजन (1905)

गरमपंथी चरण (1905-1919):

  • गरमपंथी नेता: लाला लाजपत राय, अरविंद घोष
  • पूर्ण स्वतंत्रता की मांग
  • असहयोग आंदोलन (1920-1922)

राष्ट्रवाद के प्रसार में योगदानकर्ता

सामाजिक सुधार आंदोलन:

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  • ब्राह्म समाज और आर्य समाज ने सामाजिक समानता और तर्कसंगतता की वकालत की।
  • महर्षि दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद जैसे नेताओं ने राष्ट्रीय गौरव और आध्यात्मिकता का प्रचार किया।

साहित्य और कला:

  • बंकिम चंद्र चटर्जी और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे लेखकों ने राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
  • अजंता एलोरा जैसे स्मारकों ने देश भर में एक साझा सांस्कृतिक विरासत की भावना पैदा की।

अखबार और प्रिंट मीडिया:

  • द हिंदू और आनंदबाजार पत्रिका जैसे अखबारों ने राष्ट्रवादी विचारों को फैलाया।
  • लेखकों और कवियों ने देशभक्ति भरी सामग्री प्रकाशित की।

शिक्षा:

  • पश्चिमी शिक्षा ने भारत के युवाओं में राष्ट्रीय चेतना और जागरण पैदा किया।
  • विश्वविद्यालय और कॉलेज राष्ट्रवादी विचारों के केंद्र बन गए।

राष्ट्रवाद के प्रभाव

स्वतंत्रता संग्राम:

  • राष्ट्रवाद ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया।
  • राष्ट्रवादी नेताओं ने अहिंसक प्रतिरोध और असहयोग आंदोलनों का आयोजन किया।

राष्ट्रीय एकता और पहचान:

  • राष्ट्रवाद ने भारत के लोगों में एक साझा राष्ट्रीय पहचान की भावना पैदा की।
  • यह कई धर्मों और संस्कृतियों वाले विविध देश को एकजुट करने में मददगार था।

आर्थिक और सामाजिक विकास:

  • स्वतंत्रता के बाद, राष्ट्रवाद ने आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रेरित किया।
  • भारत ने उद्योग स्थापित किए, बांधों का निर्माण किया और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया।

निष्कर्ष

भारतीय राष्ट्रवाद का उदय एक जटिल प्रक्रिया थी जिसमें कई कारकों ने योगदान दिया। आर्थिक शोषण, सामाजिक सुधार आंदोलनों और राजनीतिक चेतना ने भारत के लोगों में एक राष्ट्रीय पहचान की भावना पैदा की। राष्ट्रवाद ने स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया और भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास को आकार दिया।

उपयोगी तालिकाएँ

तालिका 1: भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रमुख चरण

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चरण तिथियाँ नेता माँग
प्रारंभिक 1850-1885 मॉडरेट स्वशासन
उदारवादी 1885-1905 उदारवादी स्वराज
गरमपंथी 1905-1919 गरमपंथी पूर्ण स्वतंत्रता

तालिका 2: भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में योगदानकर्ता

कारक विवरण
सामाजिक सुधार आंदोलन सामाजिक समानता और तर्कसंगतता को बढ़ावा दिया
साहित्य और कला राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया और सांस्कृतिक विरासत की भावना पैदा की
अखबार और प्रिंट मीडिया राष्ट्रवादी विचारों को फैलाया
शिक्षा राष्ट्रीय चेतना और जागरण पैदा किया

तालिका 3: राष्ट्रवाद के प्रभाव

प्रभाव विवरण
स्वतंत्रता संग्राम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया
राष्ट्रीय एकता और पहचान एक साझा राष्ट्रीय पहचान की भावना पैदा की
आर्थिक और सामाजिक विकास आर्थिक और सामाजिक विकास को प्रेरित किया

प्रभावी रणनीतियाँ

राष्ट्रवाद के इतिहास को समझें:

भारतीय राष्ट्रवाद के मूल कारणों और विकास को समझना महत्वपूर्ण है।

प्रासंगिक सामग्री पढ़ें:

राष्ट्रवाद, भारतीय इतिहास और आधुनिक भारत से संबंधित किताबें और लेख पढ़ें।

व्याख्यान और कार्यशालाओं में भाग लें:

विशेषज्ञों द्वारा दिए गए व्याख्यानों और कार्यशालाओं में भाग लें।

प्राथमिक स्रोतों का अध्ययन करें:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लिखे गए भाषणों, पत्रों और डायरियों जैसे प्राथमिक स्रोतों का अध्ययन करें।

चर्चाओं और बहसों में भाग लें:

राष्ट्रवाद के इतिहास और इसके प्रभाव पर दूसरों के साथ चर्चा और बहस करें।

सामान्य गलतियाँ टालने के लिए

राष्ट्रवाद को संकीर्णतावाद के साथ भ्रमित करना:

राष्ट्रवाद देशभक्ति और राष्ट्रीय हित पर जोर देता है, जबकि संकीर्णतावाद दूसरे देशों या संस्कृतियों के प्रति पूर्वाग्रह पर जोर देता है।

राष्ट्रवाद को धर्म या जाति के साथ जोड़ना:

राष्ट्रवाद एक धर्मनिरपेक्ष विचारधारा है जो विभिन्न धर्मों और जातियों के लोगों को एकजुट करती है।

राष्ट्रवाद को हिंसा से जोड़ना:

राष्ट्रवाद का उद्देश्य एकता और प्रगति को बढ़ावा देना है, हिंसा को नहीं।

राष्ट्रवाद के आलोचकों को दबाना:

राष्ट्रवाद की आलोचना और बहस स्वस्थ है और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

Time:2024-09-07 08:43:39 UTC

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